हनुमान चालीसा से जुड़ी खास बातें

गुजरात। श्री राम के महान भक्त हनुमानजी सबसे जल्दी प्रसन्न होने वाले देवताओं में से एक हैं। शास्त्रों के अनुसार बजरंग बली को माता सीता की कृपा से अमर बताया गया है। मान्यता है कि आज भी जब भी रामचरित मानस या रामायण या सुंदरकांड का पाठ पूरी श्रद्धा और भक्ति से किया जाता है तो वहां हनुमानजी जरूर प्रकट होते हैं। बड़ी संख्या में भक्त इन्हें प्रसन्न करने के लिए हनुमान चालीसा का पाठ भी करते हैं। यदि कोई व्यक्ति पूरी हनुमान चालीसा का पाठ करने में असमर्थ है तो वह अपनी इच्छानुसार केवल कुछ पंक्तियों का ही पाठ कर सकता है।
केवल हनुमान चालीसा ही नहीं, बल्कि सभी देवी-देवताओं की मुख्य स्तुतियों में केवल चालीस दोहे हैं? विद्वानों के अनुसार चालीसा यानि चालीस, संख्या चालीस, हमारे देवी-देवताओं की स्तुतियों में चालीस स्तुतियां ही शामिल हैं। जैसे हनुमान चालीसा, दुर्गा चालीसा, शिव चालीसा आदि। इन भजनों में चालीस दोहे क्यों हैं? इसका धार्मिक दृष्टिकोण है। ये चालीस स्तुतियां संबंधित देवता के चरित्र, शक्ति, क्रिया और महिमा का वर्णन करती हैं। चालीस चौपाये हमारे जीवन की समग्रता के प्रतीक हैं, इनकी संख्या चालीस इसलिए निर्धारित की गई है क्योंकि मानव जीवन 24 तत्वों से बना है और जीवन भर इसके लिए कुल 16 संस्कार निर्धारित हैं। इन दोनों का योग 40 है। इन 24 तत्वों में 5 ज्ञानेंद्रियां, 5 कर्मेंद्रियां, 5 महाभूत, 5 तन्मात्रा, 4 अंतकरण शामिल हैं।
सोलह संस्कार इस प्रकार हैं-
गर्भाधान संस्कार
पुंसवन संस्कार
यादगार घटना
जाति संस्कृति
नामकरण समारोह
यादगार घटना
खाने की रस्म
चूड़ाकर्म संस्कार
दीक्षा के संस्कार
कर्णवेध संस्कार
यज्ञ संस्कार
वैदिक संस्कार
केशांत संस्कार
समावर्तन संस्कार
जल ग्रहण अनुष्ठान
अंतिम संस्कार
ईश्वर की इन स्तुतियों में हम न केवल उन्हें इन तत्वों और संस्कारों के बारे में बताते हैं, बल्कि जीवन में दोषों के लिए क्षमा भी मांगते हैं। इन चौवालीस में सोलह संस्कार और 24 तत्व भी शामिल हैं। जिससे जीवन की उत्पत्ति होती है।