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Nasal Vaccine: लॉन्च हुआ दुनिया का पहला नेजल वैक्सीन, जानें इस वैक्सीन के फायदे

बता दें कि हैदराबाद की भारत बायोटेक ने वाशिंगटन स्कूल ऑफ मेडिसिन के साथ मिलकर इस वैक्सीन को विकसित किया है। नाक स्प्रे टीका प्राथमिक और बूस्टर खुराक के रूप में दी जा सकती है।


भारत बायोटेक की पहली नेजल वैक्सीन आज लॉन्च हो गई है। देश में कोरोना से लड़ाई में यह वैक्सीन काफी मददगार साबित होगी। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह ने इस वैक्सीन को लॉन्च किया। इस वैक्सीन का नाम iNCOVACC है। यह कोरोना वायरस के खिलाफ दुनिया का पहला नेजल वैक्सीन है। यह टीका बूस्टर खुराक के रूप में वे लोग ले सकते हैं जिन्होंने कोवैक्सीन और कोविशील्ड की खुराक ली है।

आपको कितना पैसा देना है?

निजी अस्पताल को इस टीके की एक खुराक के लिए 800 रुपये जबकि सरकारी अस्पताल में प्रति खुराक 325 रुपये देने होंगे। बता दें कि हैदराबाद की भारत बायोटेक ने वाशिंगटन स्कूल ऑफ मेडिसिन के साथ मिलकर इस वैक्सीन को विकसित किया है। नाक स्प्रे टीका प्राथमिक और बूस्टर खुराक के रूप में दी जा सकती है।

भारत सरकार ने पिछले साल 23 दिसंबर को इस वैक्सीन के इस्तेमाल की मंजूरी दी थी। लॉन्चिंग से पहले कहा गया था कि वैक्सीन पहले निजी अस्पतालों में उपलब्ध कराई जाएगी। अन्य दो टीकों की तरह इस टीके की खुराक लेने के लिए कोविन वेबसाइट में ही स्लॉट बुक किए जाएंगे।


जानिए नाक के टीके के फायदे

1-नाक के टीके वे टीके होते हैं जिन्हें नाक के माध्यम से लगाया जाता है। यह टीका सभी लोगों को बड़ी आसानी से दिया जा सकता है। इसे इंट्रानेजल वैक्सीन कहा जाता है। अब इस टीके की एक खुराक देने के लिए किसी को किसी तरह के इंजेक्शन की जरूरत नहीं होगी।

2-इस नेजल वैक्सीन की खासियत यह है कि इसे आमतौर पर कोरोना के बूस्टर डोज के तौर पर या प्राइमरी वैक्सीन के तौर पर भी दिया जा सकता है। कोवैक्सीन और कोवीशील्ड दोनों तरह के टीके लगवाने वालों को यह नेजल वैक्सीन बूस्टर डोज के तौर पर दी जा सकती है।

3-वैक्सीन के संक्रमण और ट्रांसमिशन के खिलाफ यह काफी कारगर साबित होगा. चूंकि यह नाक के जरिए दी जाती है, इसलिए यह सीधे उस क्षेत्र को प्रभावित करेगी, जहां कोरोना वायरस सबसे ज्यादा फैलता है, इसलिए इसे पहले के टीके से ज्यादा फायदेमंद माना जा रहा है।

4-स्वास्थ्यकर्मियों को इस टीके को लगाने के लिए प्रशिक्षित होने की आवश्यकता नहीं होगी, क्योंकि यह सीधे नाक के माध्यम से लगाया जाएगा। तो दूसरा बड़ा फायदा यह होगा कि इसकी स्टोरेज की समस्या भी कम हो जाएगी। फिलहाल जो वैक्सीन लगाई जाती है, उसके स्टोरेज के लिए सरकार को काफी जद्दोजहद करनी पड़ती है।


5- जो टीका पहले लगाया जा रहा है, उसमें एक छोटी बोतल में कई खुराकें होती हैं, जो एक बार खोलने के बाद लंबे समय तक नहीं चलती हैं। तब यह फायदा होगा कि वैक्सीन की बर्बादी भी कम होगी। अगर वैक्सीन सीधे नाक के जरिए अंदर जाती है तो नेजल ट्रांसमिशन का खतरा भी कम हो जाएगा।

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