Modi 8 : पॉलिटिक्स से डिप्लोमेसी तक, 8 साल में मोदी सरकार के 8 सबसे टफ

देश की सत्ता पर नरेंद्र मोदी को काबिज हुए आठ साल पूरे हो गए हैं. मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल की तीसरी सालगिरह आज (26 मई) है. मोदी सराकर ने अपने आठ साल के कार्यकाल में जता दिया है कि राजनीतिक इच्छाशक्ति वाली सरकार अपने फैसलों से कैसे राजनीति की दशा-दिशा बदल सकती है.
नरेंद्र मोदी सरकार ने आठ साल का सफर पूरा कर लिया है. 26 मई 2014 को नरेंद्र मोदी ने पहली बार प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ ली थी और 2019 में दोबारा प्रधानमंत्री बने. इस दौरान मोदी का कार्यकाल काफी उतार-चढ़ाव भरा रहा. बीते आठ सालों में पॉलिटिक्स से डिप्लोमेसी तक कभी उनके काम को सराहा गया तो, कभी उनके फैसले पर सवाल भी उठे.
ऐसे में आज हम बात कर रहे हैं, मोदी सरकार के आठ सबसे मुश्किल मोमेंट, जिनके निर्णय लेने से जमीन पर उतारने तक काफी कड़ी मशक्कत करनी पड़ी है.
कृषि कानून: सबसे बड़ा और सबसे मुश्किल फैसला
मोदी सरकार के आठ साल के दौरान सबसे टफ फैसला कृषि कानून लाने का था. कृषि क्षेत्र के सुधार के लिए मोदी सरकार तीन कृषि कानून लेकर आई तो बड़े-बड़े दावे किए गए थे, लेकिन संसद में कानून के पास होते ही पंजाब के किसान सड़क पर उतर आए थे, जिसके बाद हरियाणा और यूपी सहित कई राज्यों के किसानों ने विरोध शुरू कर दिया.
किसान इस हद तक नाराज थे कि कृषि कानून की वापसी के लिए दिल्ली की सीमाओं पर एक साल से ज्यादा समय तक डेरा डाले रखा और कई किसानों को जान भी गंवानी पड़ी थी. इस दौरान किसान बीजेपी नेताओं का गांव में घुसने तक पर विरोध करने लगे थे. मोदी सरकार की तमाम कवायद के बाद भी किसान मानने को तैयार नहीं थे. ऐसे में मोदी सरकार को कृषि कानून को वापस लेना पड़ा.